◼️लोकतंत्र सेनानियों को मिला सम्मान का हक, महाराष्ट्र सरकार ने बढ़ाई मासिक निधि
◼️ विधायक सुधीर मुनगंटीवार के प्रयास रंग लाए, कैबिनेट की बैठक में मिली मंजूरी
चंद्रपुर, 17 जून:
आपातकाल के काले दौर में लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाले सेनानियों को आखिरकार महाराष्ट्र सरकार ने सम्मान दिया है। राज्य मंत्रिमंडल ने लोकतंत्र सेनानियों की मासिक सन्मान निधि में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह महत्वपूर्ण निर्णय भाजपा विधायक एवं पूर्व वने, सांस्कृतिक कार्य व मत्स्य व्यवसाय मंत्री श्री सुधीर मुनगंटीवार के अथक प्रयासों का परिणाम है।
सुधीर मुनगंटीवार ने विधानसभा में लक्षवेधी प्रस्ताव के माध्यम से यह मुद्दा उठाया था और मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस को ज्ञापन सौंपते हुए लोकतंत्र सेनानियों की स्थिति में सुधार की मांग की थी। इसी का नतीजा है कि 17 जून को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गई।
नया निधि ढांचा इस प्रकार है:
1 माह से अधिक जेल भुगतने वाले सेनानी: ₹20,000 प्रति माह
उनकी मृत्यु के पश्चात जीवनसाथी को: ₹10,000 प्रति माह
1 माह से कम जेल भुगतने वाले सेनानी: ₹10,000 प्रति माह
उनकी मृत्यु के पश्चात जीवनसाथी को: ₹5,000 प्रति माह
इस निर्णय से राज्यभर के करीब 4,103 लोकतंत्र सेनानियों को सीधा लाभ मिलेगा।
राजस्थान मॉडल बना प्रेरणा:
विधायक मुनगंटीवार ने मुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में राजस्थान सरकार का हवाला दिया था, जहाँ लोकतंत्र सेनानियों को ₹20,000 मासिक पेंशन और ₹4,000 चिकित्सा सहायता दी जाती है। उसी के अनुरूप महाराष्ट्र में भी निधि बढ़ाने की मांग की गई थी।
सेनानियों ने जताया आभार:
फैसले के बाद लोकतंत्र सेनानी संघ के पदाधिकारियों — रघुनाथ दीक्षित (कार्याध्यक्ष, जालना), विश्वास कुलकर्णी (महासचिव, जळगांव), प्रदीप ओगले व श्रीकांत शिंदे (सांगली), अरुण भिसे, पांडुरंग जिंजुर्डे व यादवराव गहूकार (यवतमाळ) — ने सुधीर मुनगंटीवार से भेंट कर आभार प्रकट किया।
विधायक सुधीर मुनगंटीवार का वक्तव्य:
"यह केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा में अपने प्राणों की बाज़ी लगाने वालों को हमारा श्रद्धासुमन है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस विषय को गंभीरता से लिया, इसके लिए मैं उनका आभारी हूं।"
इस फैसले के साथ महाराष्ट्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि लोकतंत्र के लिए किए गए बलिदानों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। अब ये सेनानी न केवल आर्थिक रूप से सशक्त होंगे, बल्कि समाज से उन्हें वह मान-सम्मान भी मिलेगा जिसके वे वास्तव में हकदार हैं।
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