◼️निर्वाचन आयोग का बिहार में सख्त रुख: बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम सार्वजनिक नहीं होंगे
नई दिल्ली: भारत के निर्वाचन आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं के नाम सार्वजनिक न करने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में आयोग ने यह रुख अपनाया है, भले ही विपक्षी नेता राहुल गांधी ने मत चोरी के कथित सबूत पेश किए हों। विपक्ष द्वारा आयोग पर पक्षपात और मनमानी के आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन आयोग ने साफ किया कि हटाए गए मतदाताओं की अलग सूची जारी करने का कोई कानूनी नियम नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में आयोग का हलफनामा
बिहार में एसआईआर प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने हटाए गए मतदाताओं की सूची और उनके नाम हटाने के कारणों को सार्वजनिक करने की मांग की थी। इसके जवाब में आयोग ने शनिवार देर रात दाखिल हलफनामे में कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के तहत मसौदा मतदाता सूची में शामिल न किए गए लोगों की अलग सूची तैयार करने या उनके नाम हटाने के कारणों को प्रकाशित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
नाम हटाने से पहले नोटिस अनिवार्य
आयोग ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि किसी भी मतदाता का नाम बिना नोटिस के सूची से नहीं हटाया जाएगा। साथ ही, 12 अगस्त की सुनवाई से पहले सभी संबंधित पक्षों को दस्तावेज जमा करने का अवसर दिया जाएगा। यदि किसी का नाम हटाया जाता है, तो इसके कारणों के साथ लिखित आदेश जारी किया जाएगा। इसके अलावा, नाम हटाने के खिलाफ मतदाताओं को दो चरणों में अपील करने की सुविधा दी जाएगी।
राजनीतिक दलों को दी गई जानकारी
आयोग ने अपने हलफनामे में उल्लेख किया कि हटाए गए मतदाताओं की जानकारी 20 जुलाई को ही संबंधित राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट्स को दी जा चुकी है। फिर भी, विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया को 'लोकतंत्र विरोधी' और 'गरीब व अल्पसंख्यक मतदाताओं को वोटिंग से वंचित करने वाली' करार दिया है। कुछ ने तो इसे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से जोड़ा है।
विपक्ष का तीव्र विरोध
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार, कर्नाटक, हरियाणा और महाराष्ट्र में मत चोरी का आरोप लगाया है। उन्होंने बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख से अधिक मतों की चोरी का दावा किया था, जिसे आयोग ने 'झूठा' बताया है। कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राहुल गांधी को सबूत पेश करने के लिए नोटिस भेजा है। इसके अलावा, इंडिया ब्लॉक के 300 सांसद आज (11 अगस्त 2025) संसद से निर्वाचन आयोग के कार्यालय तक मार्च निकालने की योजना बना रहे हैं, हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस मार्च को अनुमति नहीं दी है।
विवाद और गहराने की आशंका
निर्वाचन आयोग के इस कड़े रुख और मतदाता सूची में बदलाव को लेकर राजनीतिक माहौल और गर्म होने की संभावना है। विपक्ष ने आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं और इसका असर बिहार विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है, ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है। सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई और आयोग के फैसलों पर अब सभी की नजरें टिकी हैं।