दिवंगत सांसद बाळू धानोरकर की मांग अंततः हुई पूरी मोदी सरकार ने की जातिगत जनगणना की घोषणा

◼️दिवंगत सांसद बाळू धानोरकर की मांग अंततः हुई पूरी 
 ◼️मोदी सरकार ने की जातिगत जनगणना की घोषणा



चंद्रपुर: स्वतंत्र भारत में जाति आधारित जनगणना नहीं होने के कारण देश में सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक नीतियां बनाते समय समाज के कई वर्गों को न्याय नहीं मिल पाया है। लेकिन अब इस अन्याय को समाप्त करते हुए केंद्र सरकार ने आखिरकार जातिगत जनगणना कराने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस मांग के लिए पहली आवाज चंद्रपुर के लोकप्रिय दिवंगत सांसद बाळू धानोरकर ने उठाई थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अपनी पहली बैठक में उन्होंने पूरे देश में जातिगत जनगणना की पुरजोर मांगनी की थी। उन्होंने अपने जीवन काल में संसद और मीडिया के माध्यम से लगातार यह मांग उठाई थी।

दिवंगत सांसद बाळू धानोरकर का मुद्दा सामाजिक न्याय, समानता और समावेशी विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था। केंद्र सरकार द्वारा आज उनकी मांग पर ध्यान देने का निर्णय सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी समय-समय पर संसद में इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से उठाया। उनकी दूरदर्शिता और कांग्रेस पार्टी के लगातार समर्थन के कारण अंततः केंद्र सरकार को यह निर्णय लेना पड़ा।

इसी मांग को आगे बढ़ाते हुए दिवंगत सांसद बाळू धानोरकर की पत्नी और मौजूदा सांसद प्रतिभा धानोरकर ने भी लोकसभा में इस मांग को मजबूती से उठाया।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, "देश के वंचित, पिछड़े और हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए योजनाओं की सटीक योजना बनाने के लिए जातिगत जनगणना आवश्यक है। यह जनगणना सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।"

कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि यह फैसला न केवल कांग्रेस पार्टी की जीत है, बल्कि वंचित, पिछड़े और मजदूर वर्ग के अधिकारों की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण फैसला है।
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