सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: अब ड्यूटी के रास्ते में हादसा भी ‘कार्यस्थल दुर्घटना’, मुआवजा पक्का!

⚫सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: अब ड्यूटी के रास्ते में हादसा भी ‘कार्यस्थल दुर्घटना’, मुआवजा पक्का!



सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों के हक में एक क्रांतिकारी फैसला सुनाया है, जो कार्यस्थल की परिभाषा को नए सिरे से गढ़ता है। अब अगर कोई कर्मचारी ड्यूटी पर जाते वक्त या घर लौटते समय सड़क हादसे का शिकार होता है, तो वह भी कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम, 1923 के तहत मुआवजे का हकदार होगा, बशर्ते हादसे का सीधा संबंध नौकरी से हो। यह फैसला कर्मचारियों के लिए एक बड़ा तोहफा है और उनके अधिकारों को मजबूत करने वाला कदम है।

क्या है मामला?  
न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति कल्पथी वेंकटरमण विश्वनाथन की पीठ ने इस ऐतिहासिक फैसले में साफ किया कि कर्मचारी की सुरक्षा सिर्फ कार्यस्थल की चारदीवारी तक सीमित नहीं है। अगर कर्मचारी ड्यूटी के लिए घर से निकला हो और रास्ते में हादसा हो, तो उसे कार्य से जुड़ा माना जाएगा। कोर्ट ने इस पुरानी धारणा को तोड़ दिया कि मुआवजा सिर्फ ऑफिस या फैक्ट्री में हुए हादसों के लिए ही मिलेगा। 

बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला पलटा  
यह फैसला महाराष्ट्र के उस्मानाबाद के एक मामले से जुड़ा है, जहां एक शुगर मिल में वॉचमैन की ड्यूटी पर जाते वक्त सड़क हादसे में मौत हो गई थी। मृतक सुबह 3 बजे की शिफ्ट के लिए समय से पहले निकला था, लेकिन कार्यस्थल से 5 किमी पहले हादसे का शिकार हो गया। लेबर कमिश्नर ने मृतक के परिजनों को 3,26,140 रुपये मुआवजा और ब्याज देने का आदेश दिया था। लेकिन 2011 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह कहकर आदेश रद्द कर दिया कि हादसा कार्यस्थल पर नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने अब हाईकोर्ट के इस फैसले को पलटते हुए मुआवजे के हक को बहाल किया है।

क्यों है यह फैसला खास?  
यह फैसला कर्मचारियों के लिए एक मील का पत्थर है। अब ड्यूटी के लिए यात्रा के दौरान होने वाली दुर्घटनाएं भी ‘कार्यस्थल दुर्घटना’ की श्रेणी में आएंगी। कोर्ट ने कहा कि समय, स्थान और परिस्थितियों के आधार पर अगर हादसा ड्यूटी से जुड़ा है, तो कर्मचारी या उनके परिजन मुआवजे के हकदार हैं। यह निर्णय न केवल कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा देगा, बल्कि नियोक्ताओं को भी कर्मचारी कल्याण के प्रति और जिम्मेदार बनाएगा।

कर्मचारियों के लिए नई उम्मीद  
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन लाखों कर्मचारियों के लिए राहत की सांस है, जो रोज़ ड्यूटी के लिए लंबी यात्रा करते हैं। अब नौकरी से जुड़े सफर में होने वाली दुर्घटनाएं भी मुआवजे के दायरे में आएंगी। यह फैसला न सिर्फ कर्मचारियों के अधिकारों को मजबूत करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि उनका हर कदम सुरक्षित और संरक्षित हो। 

निष्कर्ष  
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले से यह साबित कर दिया कि कर्मचारी की मेहनत और सुरक्षा दोनों ही कानून की नजर में बराबर महत्व रखते हैं। यह फैसला न केवल मुआवजे के नियमों को और स्पष्ट करता है, बल्कि कर्मचारियों के लिए एक नई उम्मीद की किरण भी लेकर आया है।
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