⚫ कोयला खदानों में सुरक्षा का घोर उल्लंघन: WCL चंद्रपुर क्षेत्र में कामगारों की जान पर बन आई, पुरानी मशीनें और लापरवाही से राष्ट्र की संपत्ति बर्बाद
चंद्रपुर : भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (WCL) के चंद्रपुर क्षेत्र की खदानों में सुरक्षा मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कामगारों की जान-माल को खतरे में डालते हुए पुरानी और खराब मशीनों का जबरन इस्तेमाल, सड़कों पर ट्रैफिक नियमों की अनदेखी और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कोयले के जलने जैसे गंभीर मुद्दों ने अब केंद्रीय कोयला मंत्री किशन रेड्डी के दरवाजे तक पहुंचा दिया है। 40 वर्षों से कोयला उद्योग में सक्रिय संगठन के.के. सिंह ने मंत्री को लिखे शिकायत पत्र में इन लापरवाहियों का खुलासा किया है, जिसमें वीडियो और फोटो सबूतों का जिक्र है।
WCL का मूल मंत्र 'शून्य दुर्घटना' (Zero Accident) है, जिसके लिए सरकार ने कोल इंडिया स्तर पर अधिकारियों की नियुक्ति, दो पक्षीय समितियों का गठन और खान सुरक्षा महानिदेशालय (DGMS) का प्रावधान किया है। करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद चंद्रपुर क्षेत्र की खदानों में मनुष्य और मशीन दोनों की सुरक्षा को ताक पर रखा जा रहा है। सिंह के अनुसार, पिछले कई वर्षों से प्रबंधन को पत्राचार और चर्चा के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ, जिससे मजबूरन यह शिकायत केंद्रीय स्तर पर की गई।
पुरानी मशीनों का घातक खेल: दुर्घटनाओं का न्योता
सबसे गंभीर आरोप पुरानी और सर्वे ऑफ हो चुकी मशीनों के इस्तेमाल पर है। उदाहरण के तौर पर:
- - पीसी पोक्लेन (PC) क्र. BE 1000 (D) FH (CIL नं. EHC 2971, सीन. नं. 10158) को मार्च 2025 में सर्वे ऑफ के लिए प्रस्तावित किया गया था, लेकिन अगस्त तक इसे उत्पादन में झोंका गया।
- - क्रेन HY DRA 8 (CIL नं. MC 515, सीन. नं. 124812, 9.5 टन) को सर्वे ऑफ कर दिया गया, फिर भी चलाई गई।
- - BML का डम्पर नं. 60203 भी सर्वे ऑफ होने के बावजूद इस्तेमाल हुआ, जो दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
इनके अलावा, दुर्गापुर की डीजल वॉयजर MH 34 (AV-0642) में लगातार तेल और डीजल का लीकेज हो रहा है, जो बड़ी दुर्घटना को आमंत्रित कर रहा है। दुर्घटना के बाद भी गाड़ियों की बैटरी (सेल्फ ब्रेकेट) में क्लैंप लॉक न लगाने से कामगारों को गंभीर चोटें लग रही हैं। सिंह ने कहा, "राष्ट्र की अमूल्य संपत्ति बर्बाद हो रही है, लेकिन प्रबंधन को फर्क नहीं पड़ता।"
सड़कें और खदानें मौत के जाल: बुनियादी सुविधाओं की कमी
चंद्रपुर क्षेत्र की खदानों में सुरक्षा के बुनियादी ढांचे की कमी ने कामगारों को असुरक्षित बना दिया है:
- - किसी भी खदान में रोड ट्रैफिक बोर्ड या स्पीड ब्रेकर नहीं लगे, खासकर रोड क्रॉसिंग पर।
- - सड़कें संकरी हैं, बिना डिवाइडर के।
- - पलटून (ओवरबर्डन डंप) के पास कोई फेंसिंग या सुरक्षा घेरा नहीं।
- - दुर्गापुर और भटाडी खदानों में पानी का जमाव बना रहता है, जहां कामगारों का आवागमन होता है।
- - ओबी डंपिंग में लाइटिंग की व्यवस्था न के बराबर, जैसे दुर्गापुर की सिनाडा डंपिंग।
- - रेस्ट शेल्टर, नाश्ता या पानी की कोई व्यवस्था नहीं।
- - बेंचिंग इतनी खराब कि हाई वॉल की स्थिति बन गई, उदाहरण: दुर्गापुर और हिंदुस्तान लालपेट ओपन कास्ट।
सिंह ने बताया कि इन लापरवाहियों से न केवल कामगारों की जान खतरे में है, बल्कि पर्यावरण भी दूषित हो रहा है।
ठेकेदारी का काला चेहरा: बिना सुरक्षा के मजदूर
ठेकेदारी प्रथा में सबसे ज्यादा शोषण हो रहा है। अधिकतर मजदूर बिना मेडिकल चेकअप, वीटीसी, आईकार्ड या PPE किट के काम कर रहे हैं, और उनकी हाजिरी तक दर्ज नहीं होती। दुर्गापुर उपक्षेत्र में 7 सितंबर 2025 को कुछ नाम इस प्रकार हैं:
- - अंकित हजारे (26 वर्ष)
- - रुपेश किरमिरे (24 वर्ष)
- - सुनील रणदिवे (38 वर्ष)
- - प्रतिक व्याडकर (29 वर्ष)
- - नामदेव चौधारी (34 वर्ष)
- - आकाश रामटेके (24 वर्ष)
- - वैभव वैद्य (24 वर्ष)
- - राहुल परचाके (32 वर्ष)
और भी कई अधिकारी खुद PPE नहीं पहनते और मजदूरों से असुरक्षित काम करवाते हैं। शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
जलता कोयला: राष्ट्र हित पर प्रहार
राष्ट्र की बेशकीमती संपत्ति कोयले का भी अपमान हो रहा है। भारी बारिश के बावजूद भटाडी खदान में 2 सितंबर 2025 को कोयला डंपिंग में धुआं दिखा। लालपेट ओपन कास्ट में कोयला लगातार जल रहा है, फिर भी इसका उत्पादन और डिस्पैच हो रहा है। इससे मशीनें-मनुष्य खतरे में हैं और वातावरण प्रदूषित हो रहा है।
कोई प्राथमिक सहायता नहीं: आपातकाल में लाचारी
किसी खदान में फर्स्ट एड स्टेशन या एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं है, जो दुर्घटना के समय कामगारों को मौत के मुंह में धकेल रही है।
सिंह ने पत्र में कहा, "वीडियो और फोटो सबूत सुरक्षित हैं, जरूरत पर उपलब्ध कराएंगे।" उन्होंने मीडिया से अपील की है कि इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएं। WCL प्रबंधन और DGMS से संपर्क करने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। कोयला मंत्री के कार्यालय ने शिकायत प्राप्त होने की पुष्टि की है, लेकिन कार्रवाई पर कुछ नहीं कहा।
यह मामला न केवल कामगारों के शोषण का प्रतीक है, बल्कि कोयला उद्योग की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। क्या सरकार 'शून्य दुर्घटना' के वादे को पूरा कर पाएगी? आने वाले दिनों में इसकी प्रतीक्षा।
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