◼️चंद्रपुर थर्मल पावर स्टेशन में पाइपलाइन चोरी का बड़ा घोटाला:
⚫ क्या ? सिक्योरिटी इंचार्ज सुशील घोंघले के 'आशीर्वाद' से हो रही है दिनदहाड़े लूट !
चंद्रपुर, 22 सितंबर 2025: चंद्रपुर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (सीएसटीपीएस) में भ्रष्टाचार का काला अध्याय सामने आ रहा है। यहां की बहुमूल्य पाइपलाइनें इंटा भट्टी की आड़ में काटी जा रही हैं, लेकिन स्टोर में जमा होने के बजाय सीधे चोरी हो रही हैं। सिक्योरिटी इंचार्ज सुशील घोंघले के कथित 'आशीर्वाद' से यह सिलसिला चल रहा है, जिसकी भनक स्थानीय नागरिकों को लग गई है। दिनदहाड़े पडोली इलाके में ये चुराई गई पाइपलाइनें खाली की जा रही हैं, लेकिन सीएसटीपीएस के अधिकारी और पुलिस प्रशासन को खबर नहीं है ये बात भी नागरिकों के गले नहीं उतर रही है।
सूत्रों के अनुसार, सीएसटीपीएस के अंदरूनी हिस्सों से लोहे की मोटी पाइपलाइनें चुपके-चुपके काटी जा रही हैं। ये सामान कंपनी के स्टोर की बजाय सीधे बाहर तस्करी के जरिए भेज दिया जाता है। पडोली के में, जहां सूरज की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आता है, इन पाइपलाइनों को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है। एक स्थानीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हम रोज देखते हैं कि भारी वाहनों से लादकर ये सामान आता है और फिर गायब हो जाता है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि अभी तक किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई!"
नागरिकों का गुस्सा अब पुलिस महकमे पर केंद्रित हो गया है। पडोली थाने के प्रभारी योगेश हिवसे, चंद्रपुर के पुलिस अधीक्षक और एलसीबी (लोकल क्राइम ब्रांच) के अमोल कचोरे के 'गुप्तचारों' से इसकी जानकारी क्यों नहीं? ये सवाल स्थानीय लोगों के बीच जोर-शोर से उठ रहे हैं। नागरिकों का कहना है, "अगर इतने बड़े घोटाले की भनक पुलिस को नहीं, तो फिर गुप्तचरों का क्या मतलब? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब नहीं मिलते? हम मांग करते हैं कि तत्काल जांच हो और दोषियों पर शिकंजा कसा जाए।"
सीएसटीपीएस, जो महाराष्ट्र की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने वाला प्रमुख प्लांट है, पहले भी सामग्री चोरी और भ्रष्टाचार के मामलों से जूझ चुका है। लेकिन इस बार का मामला खासा संवेदनशील लग रहा है, क्योंकि इसमें सरकारी संपत्ति की सीधी लूट शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी चोरी से न केवल कंपनी को करोड़ों का नुकसान हो रहा है, बल्कि पर्यावरणीय सुरक्षा भी खतरे में पड़ रही है, क्योंकि कटी पाइपलाइनें प्लांट की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकती हैं।
यह मामला महज चोरी का नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता का प्रतीक है। क्या सुशील घोंघले और संबंधित अधिकारी जवाब देंगे? या फिर यह घोटाला भी फाइलों में दफन हो जाएगा? स्थानीय लोग जवाब मांग रहे हैं—और इंतजार कर रहे हैं।