◼️वक्फ बोर्ड की जमीन पर रहने वालों को मिलेगा पट्टा!
◼️राज्य अल्पसंख्याक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान का ऐतिहासिक निर्णय
नागपुर: वक्फ बोर्ड की जमीन को लेकर अक्सर विवाद सामने आते रहे हैं। इन विवादों ने कई बार राजनीतिक रंग भी लिया। वक्फ बोर्ड की कई जमीनें कानूनी पचड़ों में फंसी हुई थीं, लेकिन अब महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान के नेतृत्व में वक्फ बोर्ड की विवादित जमीनों को मुक्त कराने और उनका समाज के हित में उपयोग करने का फैसला लिया गया है।
देश में पहली बार वक्फ बोर्ड की जमीन पर रहने वाले लोगों को मालिकाना हक देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। इस फैसले के तहत नागपुर जिले के उमरेड में 300 लोगों को उनके घरों का मालिकाना हक और घरकुल योजना का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही, वक्फ बोर्ड के अधीन 100 एकड़ जमीन पर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल बनाने का भी निर्णय लिया गया है।
उमरेड में बोहरा मुस्लिम समाज की मेहंदी बाग सोसाइटी के पास 100 एकड़ जमीन है, जिस पर पिछले 70 सालों से विवाद चल रहा था। इस विवाद को सुलझाने में काफी हद तक सफलता मिली है। देशभर में वक्फ बोर्ड के पास मुस्लिम समुदाय की संस्थाओं की करीब साढ़े नौ लाख एकड़ जमीन है, जिसमें से महाराष्ट्र में लगभग 90 हजार एकड़ जमीन है। इसमें से 10 फीसदी जमीन शहरी इलाकों में है। इन जमीनों का उपयोग समाज के कल्याण के लिए करने का फैसला राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने लिया है।
वक्फ बोर्ड एक कानूनी संस्था है, जो भारत में इस्लामिक कानून के तहत धार्मिक और धर्मादाय कार्यों के लिए संपत्तियों का प्रबंधन करती है। यह संस्था वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, उपयोग और दुरुपयोग या अवैध बिक्री को रोकने का काम करती है। बोर्ड की कई जमीनों पर विवाद चल रहे हैं, जिन्हें सुलझाने के लिए अब राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने पहल की है।
प्यारे खान ने कहा, "यह फैसला न केवल सामाजिक समरसता को बढ़ावा देगा, बल्कि वक्फ बोर्ड की जमीनों का उपयोग समुदाय के कल्याण और विकास के लिए सुनिश्चित करेगा।" यह कदम निश्चित रूप से समाज के लिए एक नई दिशा और विकास की राह खोलेगा।