चंद्रपुर में भाजपा में बगावत का बिगुल: राजेंद्र अडपेलवार ने दिया इस्तीफा, और भी राजीनामों की आहट!


  •  निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी, नए चेहरों को तरजीह
  • पार्टी में उबाल, बढ़ता अंतर्कलह  
  •  क्या और बड़े नेता छोड़ेंगे भाजपा का साथ?


चंद्रपुर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर सियासी भूचाल आ गया है! पार्टी के पूर्व महानगर उपाध्यक्ष और दिग्गज नेता राजेंद्र अडपेलवार ने निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा चंद्रपुर भाजपा में बढ़ते अंतर्कलह का ताजा सबूत है, और सूत्र बता रहे हैं कि यह सिलसिला यहीं थमने वाला नहीं है। 

क्या है पूरा मामला?
  
हमारे सूत्रों के मुताबिक, चंद्रपुर महानगर अध्यक्ष सुभाष कासनगोट्टूवार ने हाल ही में नई महानगर कार्यकारिणी की घोषणा की। लेकिन इस घोषणा ने पार्टी के पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ताओं के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया। आरोप है कि जिन कार्यकर्ताओं ने पार्टी को अपने खून-पसीने से सींचा, उन्हें दरकिनार कर शिवसेना, कांग्रेस और चांदा ब्रिगेड जैसे दलों से आए नए चेहरों को बड़े पदों से नवाजा गया। महामंत्री, उपाध्यक्ष, सचिव और आमंत्रित सदस्य जैसे महत्वपूर्ण पदों पर दलबदलुओं की ताजपोशी ने निष्ठावान कार्यकर्ताओं में रोष पैदा कर दिया है। 

अडपेलवार का गुस्सा, खुला पत्र
  
पूर्व नगरसेवक और ओबीसी आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर के करीबी माने जाने वाले राजेंद्र अडपेलवार ने विधायक सुधीर मुनगंटीवार और किशोर जोरगेवार को भेजे अपने इस्तीफा पत्र में दिल का गुबार निकाला। उन्होंने लिखा, "पार्टी में निष्ठावान कार्यकर्ताओं का अपमान हो रहा है। जिन्होंने जीवन भर पार्टी को मजबूत करने के लिए संघर्ष किया, उन्हें किनारे कर दलबदलुओं को तरजीह दी जा रही है। ऐसी स्थिति में मेरे लिए पार्टी में रहना संभव नहीं।" 

राहुल घोटेकर का मामला: नमक पर मिर्च
  
सबसे ज्यादा चर्चा में है राहुल घोटेकर का मामला। आपको बता दें कि घोटेकर ने 9 सितंबर 2024 को भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन अब, बिना प्राथमिक सदस्य बनाए, उन्हें सीधे कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष की कुर्सी थमा दी गई। यह फैसला निष्ठावान कार्यकर्ताओं के लिए किसी सदमे से कम नहीं। 

आगामी चुनावों पर खतरा
  
स्थानीय स्वराज्य संस्था चुनावों की सरगर्मी के बीच यह बगावत भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर निष्ठावानों की ऐसी अनदेखी जारी रही, तो पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है। सूत्रों की मानें, तो कई और बड़े नेता और कार्यकर्ता इस्तीफे का मन बना रहे हैं। 

क्या कहते हैं जानकार?  

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चंद्रपुर में भाजपा की यह अंदरूनी कलह पार्टी की एकजुटता को कमजोर कर सकती है। एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "यह सिर्फ शुरुआत है। अगर नेतृत्व ने जल्द ही हालात नहीं संभाले, तो चंद्रपुर में भाजपा का किला ढह सकता है।" 

आगे क्या?  

अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस मामले में हस्तक्षेप करेगा? या फिर चंद्रपुर में यह सियासी ड्रामा और गहराएगा? आने वाले दिन बताएंगे कि भाजपा इस आंतरिक संकट से कैसे उबरती है।
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