⚫ चंद्रपुर में क्लोरीन गैस रिसाव: रहमतनगर में दहशत का आलम, सैकड़ों प्रभावित; जिम्मेदार कौन ? —मनपा, महानिर्मिती या ठेकेदार?
चंद्रपुर, 18 सितंबर 2025: बुधवार की शाम चंद्रपुर के रहमतनगर में इरई नदी के किनारे बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से हुए क्लोरीन गैस रिसाव ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। जहरीली गैस ने बच्चों, बुजुर्गों और मस्जिद में नमाज अदा कर रहे लोगों समेत सैकड़ों को अपनी चपेट में लिया। सांस लेने में तकलीफ, आंखों-गले में जलन, खांसी और उल्टी की शिकायतों ने रहमतनगर को दहशत के साये में लपेट दिया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है—इस हादसे का जिम्मेदार कौन? स्थानीय लोगों की सुबह की शिकायत को अनसुना करने से लेकर जिम्मेदारी के टालमटोल तक, प्रशासन की लापरवाही ने गुस्से को और भड़का दिया है।
हादसे का मंजर: गंध से शुरू, दहशत में खत्म
शाम 5:30 बजे शुरू हुआ रिसाव उस वक्त भयावह हो गया, जब जहरीली गैस मस्जिद और आसपास की बस्तियों में फैल गई। स्थानीय निवासी इमरान भाई ने गुस्से में कहा, "दो-तीन दिन से हल्की गंध आ रही थी। हमने सुबह ही चंद्रपुर महानगरपालिका (सीएमसी) को सूचना दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अचानक गैस इतनी तेजी से फैली कि लोग सड़कों पर भागने लगे।" करीब 150 से 200 परिवारों को घर छोड़कर सुरक्षित ठिकानों पर जाना पड़ा। ज्योतिबा फुले स्कूल और किदवई हाईस्कूल को रातों-रात राहत शिविरों में बदला गया, जहां नगर निगम ने भोजन और पानी की व्यवस्था की। लेकिन शुरुआती बचाव में स्थानीय लोगों की बहादुरी ही काम आई, क्योंकि प्रशासन की प्रतिक्रिया देर से आई।
हादसे के दौरान राशिद हुसैन और अज़हर शेख़ ने अन्य निवासियों को बचाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई, राशिद हुसैन ने प्रशासन को हादसे की गंभीरता से अवगत कराया और बचाव टीम को शीघ्र कार्य करने की अपील की। गैस के तेज़ प्रसार के बीच वे परिसर के लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में जुटे रहे, लेकिन खुद गैस की चपेट में आ गए। स्थानीय लोगों के अनुसार, दोनों को अचानक सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और गले में दर्द की शिकायत हुई, जिसके बाद उन्हें तत्काल नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी हालत फिलहाल खतरे से बाहर हैं।
बचाव में सुस्ती: मेडिकल मदद का लंबा इंतजार
सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक मुमक्का सुदर्शन, अतिरिक्त एसपी ईश्वर कटकड़े और अग्निशमन दल ने मौके पर पहुंचकर प्लांट को बंद करवाया। लेकिन मेडिकल राहत में देरी ने लोगों का सब्र तोड़ दिया। रात 10:45 बजे तक मेडिकल टीमें पूरी तरह सक्रिय नहीं हो पाईं। चंद्रपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. मिलिंद कांबले ने बताया, "10 से ज्यादा मरीज अस्पताल में भर्ती हैं, जिन्हें सांस की तकलीफ और पेट में जलन की शिकायत है। स्थिति अब नियंत्रण में है, लेकिन पहले घंटों में हालात गंभीर थे।"
जिम्मेदारी का टालमटोल: मनपा, महानिर्मिती या ठेकेदार?
हादसे की जड़ में जिम्मेदारी का पेच फंस गया है। 2011-12 में सीएमसी द्वारा बनाया गया यह एसटीपी प्लांट चंद्रपुर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (महानिर्मिती) को सौंपा गया था, जिसका संचालन ठेकेदारों के हवाले है। स्थानीय लोगों ने बताया कि हादसे वाले दिन सुबह ही मनपा को गंध की शिकायत दी गई, लेकिन मनपा ने जिम्मेदारी महानिर्मिती पर डाल दी। जब महानिर्मिती के उपमुख्य अभियंता भूषण शिंदे से बात हुई, तो उन्होंने कहा, "प्लांट ठेके पर है। रिसाव रोक लिया गया है और जांच के बाद ठेकेदार पर कार्रवाई होगी।" लेकिन सवाल वही—रखरखाव की निगरानी किसकी थी? मनपा का कहना है कि प्लांट महानिर्मिती के पास है, जबकि महानिर्मिती ठेकेदारों पर ठीकरा फोड़ रही है। अतिरिक्त आयुक्त चंदन पाटील ने जांच शुरू होने की पुष्टि की, और प्रभारी आयुक्त विद्या गायकवाड़ ने महानिर्मिती के साथ बैठक का ऐलान किया। उपायुक्त संदीप चिद्रावार ने विस्थापन की निगरानी की, लेकिन जवाबदेही का सवाल अनुत्तरित है।
राजनीतिक हंगामा: नेताओं ने उठाई आवाज
हादसे ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया। सांसद प्रतिभा धानोरकर ने इसे "नागरिकों की जान से खिलवाड़" करार देते हुए जिला कलेक्टर और नगर आयुक्त को सख्त निर्देश दिए: "तत्काल जांच हो, दोषियों पर कार्रवाई हो, प्रभावितों को मुआवजा मिले और भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो। मैं इसकी निगरानी करूंगी।" विधायक किशोर जोरगेवार ने प्लांट का दौरा कर रिसाव रोकने में मदद की और अपील की, "स्थिति नियंत्रण में है, घबराएं नहीं।" उपविभागीय अधिकारी संजय पवार और थानेदार निशिकांत रामटेके ने भी राहत कार्यों में हिस्सा लिया। लेकिन नागरिकों का कहना है कि बयानबाजी से ज्यादा ठोस जवाबदेही चाहिए।
नागरिकों का गुस्सा: 'हमारी जान की कीमत क्या?'
रहमतनगर के लोग आगबबूला हैं। रमीज शेख़ ने कहा, "यह प्लांट रिहायशी इलाके में क्यों? सुबह की शिकायत पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या हमारी जान इतनी सस्ती है?" कई परिवारों ने शुरुआती बचाव खुद संभाला। अब लोग मुआवजे, प्लांट की सुरक्षा जांच और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। जांच समिति गठित करने का वादा है, लेकिन लोग पूछ रहे हैं—क्या यह सिर्फ कागजी कार्रवाई होगी?
आगे की राह: सबक या सिर्फ वादे?
यह हादसा औद्योगिक और रिहायशी इलाकों में सुरक्षा मानकों की खामियों को उजागर करता है। रहमतनगर की गलियों में सन्नाटा है, लेकिन सवालों की गूंज तेज है। क्या मनपा, महानिर्मिती और ठेकेदारों की जिम्मेदारी तय होगी? क्या यह त्रासदी चंद्रपुर प्रशासन के लिए सबक बनेगी, या फिर एक भूली हुई कहानी बनकर रह जाएगी?