महाराष्ट्र: मृत घोषित नवजात अचानक रोने लगा, स्वामी रामानंद तीर्थ अस्पताल की लापरवाही उजागर

◼️मृत घोषित नवजात अचानक रोने लगा, स्वामी रामानंद तीर्थ अस्पताल की लापरवाही उजागर



बीड, 11 जुलाई 2025: महाराष्ट्र के बीड जिले के अंबेजोगाई में एक हैरान कर देने वाली घटना ने स्वामी रामानंद तीर्थ अस्पताल के प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक नवजात शिशु को बिना उचित जांच के मृत घोषित कर दिया गया, लेकिन अंत्यसंस्कार की तैयारी के दौरान बच्चा अचानक रोने लगा, जिससे परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई। इस घटना ने अस्पताल की कार्यप्रणाली और चिकित्सकीय लापरवाही को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है।

क्या है पूरा मामला?

बीड जिले के होल गांव निवासी सखाराम घुगे ने 'न्यूज़चैनल' से बातचीत में इस चौंकाने वाली घटना का पूरा ब्योरा साझा किया। सखाराम ने बताया कि उनकी बहू को सोमवार को स्वामी रामानंद तीर्थ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसी दिन रात 7 से 8 बजे के बीच प्रसव हुआ। प्रसव के करीब आधे से पौने घंटे बाद डॉक्टरों ने परिवार को सूचित किया कि नवजात की मृत्यु हो चुकी है और उसे गांव ले जाया जा सकता है। इस दुखद खबर से टूट चुके परिवार ने बच्चे को घर ले जाने का फैसला किया।

अगली सुबह, जब अंत्यसंस्कार की तैयारी शुरू हुई, तब बच्चे की दादी ने अपने पोते का चेहरा देखने की इच्छा जताई। जैसे ही उन्होंने बच्चे के चेहरे से कपड़ा हटाया, बच्चे ने जंभाई ली और फिर जोर-जोर से रोने लगा। यह देख परिजन स्तब्ध रह गए और तुरंत बच्चे को लेकर वापस स्वामी रामानंद तीर्थ अस्पताल पहुंचे। वहां बच्चे को गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में भर्ती किया गया, जहां उसका इलाज जारी है।

अस्पताल प्रशासन पर उठे सवाल

इस घटना ने स्वामी रामानंद तीर्थ अस्पताल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। स्थानीय लोगों ने डॉक्टरों की लापरवाही पर आक्रोश जताया है। परिजनों का कहना है कि यदि दादी ने बच्चे का चेहरा देखने की जिद न की होती, तो एक जिंदगी दफन हो सकती थी। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने दो जांच समितियों का गठन किया है। एक समिति संबंधित विभाग के डॉक्टरों की जांच करेगी, जबकि दूसरी समिति अन्य विभागों के डॉक्टरों की भूमिका की पड़ताल करेगी। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

परिजनों में खुशी और गुस्सा

सखाराम घुगे ने बताया, "हमने अपने बच्चे को खो देने का दुख सह लिया था, लेकिन दादी की जिद ने बच्चे की जिंदगी बचा ली। यह हमारे लिए चमत्कार से कम नहीं है। लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही हमें मंजूर नहीं।" इस घटना ने न केवल घुगे परिवार, बल्कि पूरे अंबेजोगाई में सनसनी फैला दी है।

लोगों में आक्रोश, कार्रवाई की मांग
  
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और अस्पताल प्रशासन से जवाबदेही की मांग की है। इस मामले ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकीय सेवाओं की गुणवत्ता और मरीजों के प्रति लापरवाही के मुद्दे को उजागर किया है। 

अब सभी की नजरें जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं। यह घटना न केवल एक परिवार के लिए सुखद आश्चर्य लेकर आई, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की जरूरत को भी रेखांकित करती है।
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